| परलोकाचे अवलोकन |
माणूस,१९७७ |
| नोकरशाहीने पोखरलेले सरकारी प्रचारमाध्यम(दूरदर्शन) |
बदलते प्रवाह.मी.ता.जुन १९९४ |
| महाराष्ट्र राज्य टिकले तरी पुरे! |
परिसंवाद,अक्षर,संक्रमण,१९९४ |
| पडदा कधी उघडणार?(बंद रवींद्र नाट्यगृहाविषयी) |
म.टा नोव्हेंबर ,१९९६ |
| हौसेला मोल?असतेच असते! |
म.टा .जानेवारी,१९९९ |
| "कोमसाप मुं.जिल्हा साहित्य संमेलन अध्यक्षीय भाषण २७नोव्हेंबर,१९९८" |
"आपला महानगर,नोव्हेंबर,१९९८ ललित,जानेवारी,१९९९" |
| समारोप २८ नोव्हेंबर १९९८ |
"आपल महानगर,नोव्हेंबर,१९९८" |
| "साहित्यिकांनी साहित्य सेना तयार करावी!(सकल साहित्यसंमेलनाच्या समारोप)" |
आपलं महानगर,फेब्रुवारी १९९९ |
| ज्याच्या हाती तिजोरी.... |
मी.टा ,मार्च,१९९९ |
| नर्मदा आंदोलनाची कोंडी झालेली नाही |
लोकसत्ता,ऑक्टोबर,१९९९ |
| "साहित्यिकांना विकत घेण्याचा एन्रॉनचा प्रयत्न कोमसाप संमेलन ,गुहागर" |
आपलं महानगर,नोव्हेंबर,१९९९ |
| Land of Giants (ref ;Sahitya Sammelan |
Mid -Day Feb ,2000 |
| "साहित्य संमेलनाविषयी डॉ.य.दि.फडके यांची भूमिका दुटप्पी आहे का ?" |
परिसंवाद ,ललित ,मे ,२००० |
| "Speech:Inaugeration of Video Films and Discussions on contemporary social issues" |
Alternative Video Festival |
| मानसिकता बालकांची आणि पालकांची |
म.टा,एप्रिल २००२ |
| गणेशउत्सवाचे बदलते स्वरूप अपरिहार्य |
लोकमत,ऑक्टोबर,२००२ |
| साधी मूर्तीच आवडते! |
आपलं महानगर,गणेश चतुर्थी विशेषांक |
| मोरू आणि मोरूचा बाप |
आपलं महानगर ,२००२ |
| संघाच्या गोष्टी |
साहित्य,ऑक्टोबर-डिसेंबर,२००२ |
| मुख्यमंत्र्याना अनावृत पत्र (संदर्भ :नर्मदा आंदोलन) |
अप्रकाशित |
| बाय द क्रिमिनल्स,,फॉर द क्रिमिनल्स,ऑफ द क्रिमिनल्स |
अनुभव,डिसेंबर,२००३ |
| मुकुटात पीस खोचण्याआधी..... |
महापर्व ,म.टा एप्रिल,२००४ |
| आमुची मायबोली |
शब्दवर्दळ,२००४ |
| मग दुसरे कुठले शस्त्र...(नर्मदा आंदोलनाविषयी ) |
अप्रकाशित,२००३ |