शीर्षक |
प्रसिद्धी |
संग्रह |
बेबी मॅच पाहते |
आनंदवन, क्रिकेट विशेष, १९५९ |
असंग्रहित |
सोनेरी मनाची परी |
सत्यकथा. १९५९, मार्मिक. १९९८ |
सोनेरी मनाची परी १९७३ |
वनराणी आणि फूल |
सत्यकथा, १९६०, वाङ्मयशोभा.१९९८ |
सोनेरी मनाची परी |
कवीची प्रिया |
सत्यकथा, १९६१ |
सोनेरी मनाची परी |
कुंभ |
रसिक, १९६१ |
सोनेरी मनाची परी |
स्वप्नातील चांदणे |
सत्यकथा, १९६२ |
सोनेरी मनाची परी |
फाटक्या कपड्यातील राजकन्या |
वीणा, १९६२ |
सोनेरी मनाची परी |
जादूचे फुलपाखरू |
सत्यकथा. १९६२ |
सोनेरी मनाची परी |
दुखऱ्या गुडघ्याची गोष्ट |
सत्यकथा.१९६२ |
सोनेरी मनाची परी |
लाकडातील चेहरा |
सत्यकथा: १९६४, कवडसे : १९७८ |
सोनेरी मनाची परी |
खेकडा |
हंस.१९६५, दक्षता: १९९९ |
खेकडा,१९७०,र.म च्या निवडक गूढकथा |
|
|
झपाटणाऱ्या गोष्टी ,"बाळ अंधार पडला !"दूरदर्शन मुंबई केंद्र (हिंदी) |
आल्बम |
हंस, १९६५ |
खेकडा,अपरात्र |
निजधाम |
हंस, १९६५ |
निजधाम,१९७२ ,र.म च्या निवडक गूढकथा
झपाटणाऱ्या गोष्टी ,"बाळ अंधार पडला !"दूरदर्शन मुंबई केंद्र (हिंदी)
|
अंतराय |
हंस, १९६६ |
खेकडा,फँटॅस्टिक |
कळकीचं बाळ |
हंस, १९६६ |
खेकडा,फँटॅस्टिक |
शाळेचा रस्ता |
हंस, १९६६ |
र.म च्या निवडक गूढकथा झपाटणाऱ्या गोष्टी ", |
|
|
बाळ अंधार पडला !"दूरदर्शन मुंबई केंद्र (हिंदी) |
एक विलक्षण आरसा |
हंस, १९६६, दूरदर्शन मुंबई केंद्र (हिंदी) |
खेकडा,विलक्षण ,अम्लान कथा (आशा साठे ) |
तुमची गोष्ट |
हंस, १९६६, दूरदर्शन श्रीनगर केंद्र |
र.म च्या निवडक गूढकथा झपाटणाऱ्या गोष्टी , |
|
|
"बाळ अंधार पडला !"दूरदर्शन मुंबई केंद्र (हिंदी) |
अपरात्र |
हंस, १९६७ |
निजधाम,अपरात्र |
ती, मी आणि तो |
हंस, १९६७, रूपतारा: कन्नड सिने.मासिक, १९८६ |
|
|
गजरा -दूरदर्शन मुंबई |
खेकडा,फँटॅस्टिक |
निमची निमा |
हंस,१९६७,दूरदर्शन मुंबई केंद्र,हिंदी गहिरे पाणी |
खेकडा,अवचिन्ह,बाळ अंधार पडला!,निवडक कथा |
वादा |
हंस.१९६७ |
निजधाम |
हे माझे घर |
हंस ,१९६८,चित्रमालिका गहिरे पाणी:पंकज विष्णू
ऋजुता जोशी
|
निजधाम,अपरात्र,गहिरे पाणी |
शेला |
हंस ,१९६८ |
|
डोंगरमाथा |
हंस ,१९६८ |
निजधाम,अपरात्र |
कुणास्तव कुणीतरी |
हंस ,१९६८ |
खेकडा,अवचिन्ह,बाळ अंधार पडला |
तडा गेलेली काच |
हंस ,१९६८ |
रंगांधळा ,१९७७,अवचिन्ह |
आकृती |
हंस |
निजधाम,विलक्षण,"बाळ अंधार पडला !" |
झुंबर |
हंस,१९६९ |
फाशी बखळ,१९७४ |
पावसातील पाहूना |
हंस,१९६९, (पुनः)दक्षता ,१९६९ |
खेकडा,र.म च्या निवडक गूढकथा झपाटणाऱ्या गोष्टी " |
समदुःखी |
हंस,१९६९ |
निजधाम |
चिखल |
हंस,१९७० |
रंगधळा ,अपरात्र |
बोलावणं |
हंस,१९७०,दूरदर्शन मुंबई केंद्र,दूरदर्शन राष्ट्रीय हिंदी:
एक कहानी -बुलावा ,१९८६
|
निजधाम र.म च्या निवडक गूढकथा झपाटणाऱ्या गोष्टी ,सर्वोत्कृष्ट
कथा ,१९७०,संपा :राम कोलारकर
|
सूर्यास्ताच्या शेवटच्या क्षणी |
दूरदर्शन मुंबई केंद्र,दिग्दर्शक:विनाक चासकर
भूमिका:मधुकर नाईक,अजित देशपांडे
|
फाशी बखळ |
मला विक्रम दिसतो |
|
फाशी बखळ ,अपरात्र ,बाळ अंधार पडला!, |
भक्ष्य |
हंस,१९७०,पुन.'ती'-मुगया ,१९८२ |
मृत्युंजयी ,अपरात्र |
झाड,गुजराती अनुवाद :व्रज शाह |
विशाखा :१९७०,चित्रलेखा:१९८० |
फाशी बखळ ,फॅन्टॅस्टिक |
जेवणावळ |
हंस,१९७१,सादरीकरण :कथादर्शन:रत्नाकर मतकरी |
निजधाम फँटॅस्टिक |
मंदा पाटणकरची गोष्ट |
हंस,१९७१ |
मध्यरात्रीचे पडघम,१९८० |
शेवटची बस |
मराठवाडा,१९७१ |
फाशी बखळ ,रत्नाकर मतकरींच्या निवडक गूढ कथा |
घायाल कि गत |
राजस,१९७२ |
असंगृहीत |
हेड्स्टडी |
हंस,१९७२ |
रंगधळा ,र.म च्या निवडक गूढकथा झपाटणाऱ्या गोष्टी |
साधा माणूस |
निषाद,१९७२ |
फाशी बखळ,अवचिन्ह |
सोडवणूक ,गुज.रूपां:छुटकारा :
व्रज शहा,फ्लेश
|
अनुराधा,१९७२ |
फाशी बखळ ,अपरात्र |
प्रिया |
|
फाशी बखळ |
बाकी राहिला काळोख |
हंस ,१९७३ |
रंगधळा ,विलक्षण |
कबंध |
माणूस,१९७३ |
कबंध,१९७७,र.म च्या निवडक गूढकथा झपाटणाऱ्या गोष्टी |
लापा-छपी |
मराठवाडा,१९७३ |
कबंध,१९७७,र.म च्या निवडक गूढकथा,'बाळ अंधार पडला' !
झपाटणाऱ्या गोष्टी
|
द्रष्टा |
किर्लोस्कर,१९७३ सादरीकरण:नाट्यदर्पण सोहळा |
कबंध,फॅन्टॅस्टिक |
फॅन्टॅस्टिक |
अनुराधा,१९७३ |
फाशी बखळ,फॅन्टॅस्टिक |
इंटरव्हयू |
नवल,१९७३ |
रंगांधळा ,अपरात्र |
वशीकरण |
|
रंगांधळा फॅन्टॅस्टिक |
हडळ |
सादरीकरण:कथादर्शन:ररत्नाकर मतकरी |
फाशी बखळ ,फॅन्टॅस्टिक |
काकबळी |
|
निजधाम,फॅन्टॅस्टिक |
फाशी बखळ |
चित्रमालिका:गहिरे पाणी,भूमिका:शरद पोंक्षे,हेमचंद्र
अधिकारी,श्रीपाद सावंत
|
फाशी बखळ,अपरात्र |
म्हणे कोण मागे आले |
|
कबंध,अपरात्र |
इच्छादेह |
अनुराधा,१९७४,चित्रमालिका :गहिरे पाणी
भू:रमेश भाटकर,जुईली देऊस्कर,मेधा जांबोटकर
|
कबंध,गहिरे पाणी |
लांबणीवर |
|
कबंध,अपरात्र |
बाबल्या रावळाचा पेटारा |
|
कबंध,फॅन्टॅस्टिक |
असं कधी घडत नाही ! |
|
कबंध |
एक माणूस आणि एक पशू |
|
कबंध,फॅन्टॅस्टिक |
असा हि एक कलावंत |
(पुन)हितगुज,ऑस्ट्रेलिया ,१९९८ |
कबंध,फॅन्टॅस्टिक |
वारस |
हंस ,१९७४,दूर:गहिरे पाणी ,भू :राहुल मेहेंदळे,
श्रीपाद सावंत
|
रंगांधळा ,१९७७ फॅन्टॅस्टिक,गहिरे पाणी |
रंगांधळा |
हंस ,१९७४ |
रंगांधळा , १९७७ र.म च्या निवडक गूढकथा झपाटणाऱ्या गोष्टी
सर्वोत्कृष्ट मराठी कथा खंड ११ :संपा.रॅम कोलारकर
|
ट्रिंग..ट्रिंग...हलो,क्लिक |
मराठवाडा,१९७४ |
कबंध र.म च्या निवडक गूढकथा ,हस्त हासविता |
पुलावरचा माणूस |
नवल,१९७४ |
रंगांधळा,विलक्षण |
श्रीमंत |
माणूस,१९७४ |
कबंध,र.म च्या निवडक गूढकथा झपाटणाऱ्या गोष्टी |
जळमटं |
मराठवाडा,१९७५ |
रंगांधळा फॅन्टॅस्टिक |
हातमोजे |
अनुराधा,१९७५,दूर :गहिरे पाणी :चित्र/भू :निखिल रत्नपारखी,
संज्योत हर्डीकर,राहुल मेहेंदळे,ऋजुता जोशी
|
रंगांधला,अवचिन्ह,गहिरे पाणी |
ती दोन मुलं
(गुज अनु:'अंदर आऊ के" ?व्रज शाह
|
नवल,१९७५ |
रंगांधळा , १९७७ र.म च्या निवडक गूढकथा झपाटणाऱ्या गोष्टी
|
चित्रलेखा ,१९७७ |
|
|
तळ्याकाठची हिरवळ |
प्रपंच,दूर.गहिरे पाणी/चित्र /भू :अरुण नलावडे,क्षमा निनावे,
प्रसाद ओक
|
रंगांधला,अवचिन्ह |
म्हातारीची तरुण मुलगी,गुज:सुखनी सजा
अनु:वज्र शाह चित्रलेखा ,१९७७
|
शामसुंदर ,१९७५ |
रंगांधळा ,र.म च्या निवडक गूढकथा झपाटणाऱ्या गोष्टी
|
हार |
हंस ,१९७६ |
संभ्रमाच्या लाटा ,१९७९,अवचिन्ह |
संभ्रमाच्या लाटा |
|
संभ्रमाच्या लाटा |
झुला,इंग्रजी रूपांतर:द ट्रॅपीझ:विद्या पिल्ले |
|
संभ्रमाच्या लाटा |
ब्रिटिश कौन्सिल स्पर्धेत विजयी |
|
|
जाळ |
मराठवाडा,१९७६ |
संभ्रमाच्या लाटा,झपाटणाऱ्या गोष्टी ,र.म च्या निवडक गूढकथा |
ड्रॅक्युला |
शामसुंदर ,१९७६,गहिरे पाणी/दुर.चित्र.गहिरे पाणी,
भू :निखिल रत्नपारखी ,हृदय जाधव
|
संभ्रमाच्या लाटा,विलक्षण |
सिक्वेन्स |
नवल,१९७६ |
संभ्रमाच्या लाटा,विलक्षण |
मिछीवाला |
अनुराधा,१९७६ |
संभ्रमाच्या लाटा ,अवचिन्ह |
एक दिवा विझताना |
माणूस,१९७६ |
एक दिवा विझताना ,१९७६ |
विखार |
प्रपंच,१९७७ |
मध्यरात्रीचे पडघम ,१९८०,विलक्षण |
पाप |
नवल,१९७७,गहिरे पाणी ,भू :हृदय जाधव,अरुण नलावडे,
सुहिता थत्ते
|
संभ्रमाच्या लाटा,विलक्षण ,गहिरे पाणी |
विहीर |
मराठवाडा,१९७७ |
संभ्रमाच्या लाटा,विलक्षण ,र.म च्या निवाडक गूढकथा |
सोनाराची बायको |
अनुराधा,१९७७ |
संभ्रमाच्या लाटा ,अवचिन्ह,बाळ अंधार पडला !हसता हसवीता |
"बाळ अंधार पडला!" |
शामसुंदर,१९७७ |
मध्यरात्रीचे पडघम,अवचिन्ह,"बाळ अंधार पडला!" |
मस्करी |
गोमतक ,१९७७ |
मध्यरात्रीचे पडघम |
अवचिन्ह,(गुज निर्दोष खुनी अनु.व्रज शाह
१९७८
|
नवल,१९७८,दोरचित्रवाणी:गहिरे पाणी: अविनाश नारकर.
क्षितिज झारापकर आणि इतर
|
मध्य,पडघम,अवचिन्ह,गहिरे पाणी |
झोपाळा |
अनुराधा,१९७८, |
मध्य,पडघम,र.म च्या निवडक गूढकथा झपाटणाऱ्या गोष्टी |
कामगिरी |
निषाद,१९७८ |
मध्य,पडघम,विलक्षण |
अनिकेत |
केसरी,१९७८ |
मध्य,पडघम,विलक्षण |
काळ्या मांजराचे स्वप्न |
तन्मय,१९७८ |
मध्य,पडघम,विलक्षण |
फिरून त्याच्य जागी |
मनपसंत,१९७८ |
मध्य,पडघम,विलक्षण |
मध्यरात्रीचे पडघम ,गुज अनु:माधरातना
झनकारा ,१९७९
|
हंस,१९७८ |
मध्य,पडघम,र.म च्या निवडक गूढकथा झपाटणाऱ्या गोष्टी |
मृत्युंजयी |
प्रपंच,१९७८ |
मृत्युंजयी ,१९८३,विलक्षण ,सर्वोत्कृष्ट मराठी कथा खंड १५
संप:राम कोलारकर
|
किडे |
दीपावली,१९७८ |
मृत्युंजयी,अवचिन्ह |
करता करविता,गुज अनु :मारे सामेज उभी छे!
चित्रलेखा १९८१
|
नवनीत,१९७९ |
मृत्युंजयी |
हुशारी |
नवल,१९७९ |
मृत्युंजयी,अवचिन्ह |
टोक टोक पक्षी |
कवडसे,१९७९ |
मध्य,विलक्षण,बाळ अंधार पडला |
डायरी |
बागेश्री,१९७९,दु :गहिरे पाणी ,भू :समीर धर्माधिकारी,नंदिनी वैद्य |
मृत्युंजयी,विलक्षण |
लू |
दीपावली,१९७९ |
दहाजनी,१९८५ |
प्रियकर |
प्रपंच,१९७९ |
मृत्युंजयी,अपरात्र |
दु :स्वप्न |
मनोहर,१९७९ |
मृत्युंजयी |
जंगल |
दिनांक,१९८० |
मृत्युंजयी,विलक्षण |
शिंपल्यातील चांदणी |
बागेश्री,१९८० |
मृत्युंजयी |
चमकत्या डोळ्यांचा मुलगा |
नवल,१९८०,दु :गहिरे पाणी ,भू :आसावरी जोशी,अजित भुरे |
मृत्युंजयी,अपरात्र,गहिरे पाणी,बाळ अंधार पडला |
उपरीची गाथा |
मराठवाडा,१९८० |
दहाजनी |
रंगयात्री |
स्री ,१९८० |
रंगयात्री |
वसुली |
श्रीदीपलक्ष्मी,१९८० |
रंगयात्री |
रूळ |
प्रपंच,१९८० |
मृत्युंजयी |
निरोप |
|
मृत्युंजयी |
चतुर्भुज प्रकरण |
निषाद,१९८० |
रंगयात्री |
धुके...धुके... |
मनोहर,१९८० |
मृत्युंजयी,विलक्षण |
चंद्राक्का |
" तुझ्या प्रीतीचे दुःख मला"या नावाने दीपावली,१९८०,
नाटक:खोल खोल पाणी
|
दहाजनीं,अक्षर दिवाळी १९८० |
रूममेट |
अनुराधा,१९८० |
एक दिवा विझताना...... |
पोर खेळ |
सहकार सेतू ,१९८० |
एक दिवा विझताना...... |
दोघी |
नाटक:घर तिघांचं हवं |
दहाजनीं |
शाळ,शिक |
किर्लोस्कर,१९८० |
रंगयात्री |
ओपीडी:बी के ६६/७९ |
सोबत,१९८१ नाटक:करता करविता |
दहाजनीं |
इरावती सोमण |
सहकार सेतू ,१९८१ |
दहाजनीं |
भागिरथीची पाठवणी |
दीपावली,१९८१,(पुन.)ऐसी अक्षरे,२००४ |
दहाजनीं |
कांगारू |
हंस,१९८१ |
दहाजनीं |
सुगंधा कदम |
महाराष्ट्र टाइम्स ,१९८१ |
दहाजनीं |
"थांब मी आलोच !" |
दार चित्रवाणी.गहिरे पाणी:थांब मी आलोच |
मृत्युंजयी,गहिरे पाणी |
चुलीतच जळायचं |
अक्षर,१९८२,नाटक:अग्निदिव्य |
दहाजनीं |
अशब्द (गुज अनु:अशब्द)चित्रलेखा,१९८५ |
किस्त्रीम ,१९८४ |
एक दिवा विझताना .....बाळ अंधार पडला! |
सुचेता चक्रपाणी आणि तिचा कोकिळकंठ |
अक्षर,१९८४ |
एक दिवा विझताना ..... |
चौथी खिडकी |
किस्त्रीम ,१९८५ |
एक दिवा विझताना ..... |
तिसरी गरज(एक फँटसी)(नाइट मेयर मार्मिक,१९ )८५ |
मार्मिक,१९८५ |
एक दिवा विझताना ..... |
अपुरी कहाणी |
दीपावली,१९८५ |
एक दिवा विझताना ..... |
सहजन्मा श्री ,१९८८ |
श्री ,१९८८ |
एक दिवा विझताना ..... |
अंश(हिंदी अनु:डॉ मालती:भारतीय साहित्य
सर्वेक्षण वार्षिकी,१९८८
|
किस्त्रीम ,१९८८,(पुन.)दक्षता,१९९९ |
अंश,१९९५ |
सुपरब्रदर (आधारित) |
कथाश्री,१९८८ |
हस्ता हसवीता ,१९९९ |
स्वप्न आणि मार्ग |
अक्षरलेणी,१९८८ |
अंश |
पाच पांडवांचा बाप |
मार्मिक,१९८८ |
हस्त हसवीता |
डुप्लिकेट |
दीपावली,१९८८ |
संदेह,१९९३ |
पन्देगा |
कथाश्री,१९८९ |
अंश |
ते सुखानं मेले ! |
सामना,१९८९ |
संदेह |
जन्म |
किस्त्रीम ,१९८९ |
अंश |
तेहतीसचं वारं (आधारित) |
टवाळकी |
हस्ता हसवीता |
संदेह |
तरुण भारत ,१९८९ |
संदेह |
पुरुषाचा प्रॉब्लेम |
आ.महानगर ,१९८९ |
हस्ता हसवीता |
राजाराव राणीबाई |
कथाश्री,१९९० |
अंश |
ऋणको |
सामना,१९९०,दूर.चित्र.:गहिरे पाणी |
अंश ,गहिरे पाणी |
शेवटची कादंबरी |
किस्त्रीम ,१९९०,नाटक:उद्गार |
अंश |
दुसऱ्या अपहरणाची गोष्ट |
आपला महानगर,१९९१ |
हस्ता हसवीता |
इच्छामरण |
सामना,१९९१ |
संदेह |
वारं |
श्री,१९९१(पुन.)दक्षता ,१९९९ |
अंश |
गॉसिप गर्ल |
दीपावली,१९९१ |
संदेह |
तिखट-गोड |
सामना,१९९२ |
संदेह |
|
|
|
|
पुढील सर्व कथा ९१-९२ मध्ये " श्री"साप्ताहिकातून 'कथा-यात्रा ' या
सदरातून प्रथम प्रकाशित झाल्या व एक..टोले पडताहेत:१९९४ मध्ये
संगृहीत झाल्या
|
|
एक..टोले पडताहेत! |
दूर.चित्र.:गहिरे पाणी |
गहिरे पाणी |
प्रचिती |
|
|
तारकर |
|
|
बंध |
दूर.चित्र.: गहिरे पाणी |
गहिरे पाणी |
व्हेकन्सी |
दूर.चित्र.: गहिरे पाणी |
|
चित्रातलं चित्र |
|
|
काळी बाहुली |
दूर.चित्र.: गहिरे पाणी |
गहिरे पाणी |
कंदिलाची रात्र |
|
|
काळ्या शाईची गोष्ट |
|
|
प्रॅक्टिकल जोक |
|
|
आजचं युग |
|
|
जादू |
|
|
दाम्पत्य |
|
|
हाक |
|
|
नक्कल |
|
|
पर्जन्य (पुन.)दक्षता ,१९९९ |
|
|
शेवटचा टप्पा |
|
|
मांजर |
|
|
आतर्क्य |
|
|
दुसऱ्याची दुनिया |
|
|
बाकावरती |
|
|
पुरावा |
|
|
कम ऑन रॉकी |
|
|
व्याधीमुक्त |
|
|
एकतीस डिसेंबर च्या मध्यरात्री (आधारित) |
|
|
तबकडी |
|
|
घुबड |
|
|
विक्षिप्त गोष्ट |
|
|
जीवनामृत |
|
|
चिट्ठी |
दूर.चित्र.: गहिरे पाणी |
|
मिडसमर नाइट्स ड्रीम,कल्पना: शेक्सपिअर |
किस्त्रीम, १९९२ |
हसता हसवीता |
बंदूक |
धनंजय, १९९२ |
संदेह |
अपघातवार |
दीपावली, १९९२ |
संदेह |
आपुलीच प्रतिमा होते.... |
सप्तरंग, १९९२ |
अंश |
जन्मो-जन्मी |
आ.महानगर, १९९३ |
आसंगृहीत |
भ्रम |
सामना, १९९३ |
|
बदल दरबदल |
टवाळकी , १९९३ |
हसता हसवीता |
लांडगे |
धनंजय, १९९३ |
बारा-पस्तीस |
हात |
महाराष्ट्र टाइम्स |
बारा-पस्तीस |
कामिनी |
दक्षता, २००० |
बारा-पस्तीस |
ट्रॅप |
दक्षता , दूर.चित्र.: गहिरे पाणी |
बारा-पस्तीस ,गहिरे पाणी |
बॉस |
अनुभव ,२००१ दूर.चित्र.: गहिरे पाणी |
गहिरे पाणी |
तिघे, तिघी आणि ती |
धनंजय, २००१ |
बारा-पस्तीस |
पुसट रेषा |
दक्षता, २००१ |
बारा-पस्तीस |
बारा-पस्तीस |
दक्षता , दूर.चित्र.:गहिरे पाणी |
बारा-पस्तीस |
वाल्याची बायको |
मिळून साऱ्याजणी,२००२ |
|
रोज डे |
२००३ |
पॉसिटीव्ह |
निर्मनुष्य |
मुक्तसंवाद ,२००३ |
निर्मनुष्य,२००३ |
पण नंतर मात्र |
सामना, २००३ |
निर्मनुष्य |
गर्भ |
हंस, २००३ |
निर्मनुष्य |
शनचरी |
दीपावली, २००३ |
निर्मनुष्य |
दुरुस्ती |
हळक्षज्ञ , २००३ |
निर्मनुष्य |
प्रार्थना |
लोकसंवाद यतार्थ , २००३ |
निर्मनुष्य |
रोमियो आणि ज्युलिएट |
नागपूर तरुण भारत, २००४ |
असंगृहीत |
काही नवे प्रश्न |
कस्तुरीगंध ,२००३ |
असंगृहीत |
इन्व्हेस्टमेंट |
अक्षर , २००३ |
असंगृहीत |
भूमीका |
कथाश्री, २००३, दूर.चित्र.:गहिरे पाणी / रणमर्द |
निर्मनुष्य |
व्हायरस |
शब्द, २००४ |
निर्मनुष्य |
पर्यायी |
सामना,२००४ |
निर्मनुष्य |
दुसऱ्यासारखा एखादा |
दक्षता, २००४ |
असंगृहीत |
लोभ असावा |
नागपूर तरुण भारत, २००४ |
असंगृहीत |
पप्पू दादा |
अनुभव, २००४ |
असंगृहीत |
भाऊ |
साहित्य , २००४ |
असंगृहीत |
कोळसा |
सामना, २००४ |
असंगृहीत |
हे सारं...पूर्वी कधीतरी... |
कथाश्री, २००५ |
असंगृहीत |
जन्याची स्वामीभक्ती |
बेळगाव तरुण भारत , २००५ |
असंगृहीत |
मैत्रीण |
मुक्तसंवाद, २००५ |
असंगृहीत |
मन्याची हुशारी |
आ.महानगर |
असंगृहीत |
शिवाय" "डमी" |
१९८०च्या आसपासची(दिवाळी अंकात प्रदर्शित होऊनही उपलब्ध नाही) |
|